Kuch Meri Kalam Se.....
Saturday, May 3, 2008
Original Ones
कुछ शेर मेरी कलम से भी :
पलकें बिछाए बैठे हैं दीदार-ऐ-यार चाहिए
आशिक होने के लिए दिल-ऐ-बेकरार चाहिए
इंतज़ार करते काटे कितने लम्हे सुमित
अब इस बेचैन दिल को थोड़ा करार चाहिए
नज़रें दिल का हाल बयान करती हैं
सवाल कर जवाब ख़ुद दिया करती हैं
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