Saturday, May 3, 2008

Shuruat kuch is tarah....

शुरुआत कुछ ऐसे शेर से जो मेरे दिल के बेहद करीब हैं :

उसे महसूस करने का सलीका ही नहीं,
जो कहता है खुदा का नज़र आना ज़रूरी है

मन्दिर मस्जिद अब ना जाया जाए
चलो बिखरे घर को सजाया जाए
के घर से मस्जिद है बहुत दूर
चलो किसी बच्चे को हंसाया जाए

1 comment:

SAHITYIKA said...

bahut hi pyare dang se aapne in bhavnaao ko vayakat kiya hai.. really very nice...