Sunday, September 7, 2008

Aaj phir....

चंद शेर और :-

वहीँ मस्जिद भी है अपनी वहीँ मन्दिर भी है अपना
जहाँ दीवाने दो मिलकर सनम की बात करते हैं

जब हुस्न बेनकाब होता है
वो लम्हा लाजवाब होता है

बाकी फिर कभी...

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